Shreyasi Singh बिहार के जमुई से विधायक श्रेयसी सिंह पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। श्रेयसी पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की बेटी हैं। राजनीति और खेल में सफलता हासिल कर चुकीं श्रेयसी ने पिछले चार वर्षों से छुट्टी नहीं ली है।
पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में पहली बार कोई विधायक देश का प्रतिनिधित्व करेगा। श्रेयसी सिंह, जो डबल ट्रैप स्पर्धा की माहिर निशानेबाज हैं, अपनी मेहनत से राजनीति और खेल दोनों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। 32 वर्षीय श्रेयसी ने अपने दिवंगत पिता के सपनों को पूरा करने के लिए तबीयत खराब होने पर भी चार साल से एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। अब वह ओलंपिक खेलों में भारत का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं।
एक साक्षात्कार में Shreyasi Singh shooter ने अपनी जिंदगी के अहम पहलुओं पर चर्चा की। श्रेयसी, जो बिहार के जमुई से बीजेपी विधायक हैं, एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी भी हैं। 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली श्रेयसी को अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा:
ओलंपिक के लिए चुने जाने पर कैसा लग रहा है?
Shreyasi Singh: “यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है, लेकिन साथ ही थोड़ी नर्वसनेस भी है कि इतने बड़े मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करना है। यह मेरे पापा का सपना था, जो अब पूरा हो रहा है। मेरी मां और बहन मेरी ताकत हैं और मेरी टीम भी बहुत सहयोगी है।”
आपके पिताजी का सपना आपको खिलाड़ी बनाने का था या राजनेता बनाने का?
Shreyasi Singh: “मेरे पिताजी राजनीति और खेल दोनों से प्रेम करते थे। उनका सपना था कि मैं खेल और राजनीति दोनों में सफल होऊं। उन्होंने मुझे और मेरी बहन को हमेशा प्रोत्साहित किया। आज जो भी समर्पण हमारे अंदर खेल के प्रति है, वह उन्हीं की देन है।”
खिलाड़ी और विधायक दोनों जिम्मेदारियां कैसे संभालती हैं?
Shreyasi Singh “दोनों जिम्मेदारियों को निभाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मैंने उनमें संतुलन बनाने का प्रयास किया है। चुनाव के दौरान मैंने खेल से कुछ समय निकाला और अब अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से खेल के लिए समय निकाल पाती हूं। मेरे पास एक बहुत ही समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम है, जो मेरी अनुपस्थिति में भी अच्छा काम करती है।”
अपने लिए समय कैसे निकालती हैं?
Shreyasi Singh “मेरे पास फैमिली टाइम या वेकेशन का समय नहीं होता। पिछले चार साल से मैंने एक भी दिन पर्सनल डे ऑफ नहीं लिया है। मैं खुश हूं कि मैंने अपना समय देश और जनता की सेवा के लिए समर्पित किया है।”
खेल को समय ज्यादा देना पड़ता है या राजनीति को?
Shreyasi Singh: “एक शेड्यूल बना हुआ है, लेकिन विधायक के तौर पर काम ज्यादा होने पर शेड्यूल बदलता रहता है। कुछ समय खेल को देकर बाकी समय जनता की सेवा में देती हूं।”
खेल या राजनीति कौन ज्यादा चुनौतीपूर्ण है?
Shreyasi Singh: “दोनों ही क्षेत्रों में अपनी-अपनी चुनौतियां हैं। खेल ने मुझे सिखाया है कि हार-जीत और सफलता-असफलता जीवन का हिस्सा हैं। राजनीति में हर दिन नई चुनौतियां सामने आती हैं। खेल से मिली इस सीख को मैं राजनीति में भी लागू करती हूं।”