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Haryana: 20 हजार ग्रुप सी पदों की भर्ती पर संदेह की चादर, HC ने परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा

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Chandigarh:- पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 1 फरवरी को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 20,000 ग्रुप सी पदों की भर्ती के परिणाम की घोषणा को रोक दिया था। 5 फरवरी को सरकारी वादा देने के बाद रोक हटा दिया गया। रोक हटने के बाद, आयोग ने 10,000 पदों के लिए परिणाम घोषित किया। अब मामला फिर से विवादित हो गया है।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की तलवार अब फिर से हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 20,000 ग्रुप सी पदों की भर्ती पर लटकी हुई है। भर्ती के परिणाम को चुनौती देने वाली एक याचिका के जवाब में उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को नोटिस जारी किया है।

दोनों पक्षों से जवाब मांगते हुए, अदालत ने स्पष्ट किया है कि इन पदों पर नियुक्तियाँ इस याचिका के फैसले पर निर्भर होंगी। साथ ही, इस भर्ती में आई तकनीकी अविनय की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी, जिसमें आयोग शामिल नहीं होगा।

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जींद के निवासी सुमित और अन्य, याचिका दाखिल करते समय, हाईकोर्ट को सूचित किया कि हरियाणा सरकार 32,000 ग्रुप सी पदों के लिए भर्ती कर रही है। भर्ती के दौरान, उन्होंने आयोग की वेबसाइट पर आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन दर्ज नहीं हुआ। इसके कारण, वे योग्य होते हुए भी विभिन्न पदों के लिए आवेदन नहीं कर पाए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण योग्य उम्मीदवारों के दस्तावेज़ वेबसाइट पर दिखाई नहीं दिए गए और आयोग ने उन्हें अंकों का लाभ नहीं दिया। इससे वे मेरिट सूची से बाहर हो गए और कम अंक वालों का नाम नियुक्त होने वालों की सूची में शामिल हो गए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आयोग को ज्ञापन देकर शिकायत की लेकिन उनकी मांग पर कोई उचित निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने मामले में उचित आदेश पारित कर परिणाम रद्द करने और तकनीकी गड़बड़ी को दूर करने की मांग की। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद, हाई कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने बताया कि हाई कोर्ट ने आयोग के रवैये के आधार पर एक तकनीकी कमेटी बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें हाई कोर्ट के तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद, हाई कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया है।

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लाइनमैन, नर्स और अन्य वर्गों में गड़बड़ी हुई है। याचिकाकर्ता के वकील ने एक उदाहरण के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि एक याचिकाकर्ता ने बिजली विभाग में सहायक लाइनमैन के पद के लिए आवेदन किया था। उसने कुल 51 अंक प्राप्त किए जबकि कट ऑफ 45.82 थी। 51 अंक के बावजूद उसका नाम चयन सूची में नहीं रखा गया, जबकि उसी श्रेणी में उससे कम अंक वाले उम्मीदवारों को चयन किया गया। इसी तरह नर्स और अन्य वर्गों के उम्मीदवारों के साथ भी ऐसा हुआ है। कम अंक वालों को नियुक्ति दे दी गई है, लेकिन कट ऑफ से अधिक अंक प्राप्त करने वालों को अयोग्य माना गया।

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Mohd Hafiz

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