Mewat news: नूंह जिले के जलालपुर गांव में जलालपुर बूचड़खाना विरोध तेज हो गया है। गंदगी, बदबू और बीमारियों से परेशान ग्रामीणों ने कहा
मेवात के जलालपुर गांव में मांस प्रोसेसिंग यूनिट (बूचड़खाना) के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब सड़कों पर उतर आया है। गांव के दर्जनों युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर ‘जलालपुर बूचड़खाना विरोध’ आंदोलन शुरू किया है। उनका आरोप है कि गांव के पास बने बूचड़खाने से सिर्फ बदबू ही नहीं, बल्कि घातक बीमारियों का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
सड़कों पर बहती गंदगी, सांस लेना भी हुआ मुश्किल
गांववालों के अनुसार, बूचड़खाने का गंदा और लाल दूषित पानी नहरों में डाला जा रहा है। ये नहरें खेतों और जंगलों तक पहुंचती हैं, जिससे सिंचाई का पानी तक जहरीला हो गया है।

इतना ही नहीं, रविवार को जब एक ट्रैक्टर में जानवरों की आंत, ओझड़ी और गोबर भरा हुआ था, तब उसका डाला गांव के बीचोबीच खुल गया। पूरा वेस्ट सड़क पर फैल गया और बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया।
‘बूचड़खाना नहीं, कॉलेज-यूनिवर्सिटी चाहिए’
प्रदर्शन में शामिल एक ग्रामीण साकिर ने कहा, “गांव में 15 से ज़्यादा लोग कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। दमा और अस्थमा आम हो चुका है। यह सब इस फैक्ट्री की वजह से हो रहा है। हमें बूचड़खानों की नहीं, कॉलेज, स्कूल और यूनिवर्सिटीज की जरूरत है।”
ग्रामीणों का दावा है कि मांस ट्रकों में कीड़े पड़ जाते हैं और फैक्ट्रियों के चारों ओर गंदगी फैली रहती है, जिसे खुले में फेंक दिया जाता है।
महिलाएं भी परेशान, पशु बीमार
गांव की महिलाएं तक पशुओं के लिए चारा लेने जंगल नहीं जा पा रही हैं क्योंकि वहां भी बदबू फैली रहती है। दूषित चारे से पशु बीमार हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अब तो उनके रिश्तेदार तक गांव आना पसंद नहीं करते, और विवाह संबंध भी इस बदबू की वजह से टूट रहे हैं।
प्रशासन मौन, ग्रामीणों की चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। “अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। हमें मजबूरन कड़ा एक्शन लेना पड़ेगा,” युवाओं ने कहा।