हरियाणा जंगल सफारी प्रोजेक्ट बनेगा विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी। 10,000 एकड़ में फैली यह परियोजना न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि हरियाणा में ग्रीन टूरिज़्म की नई पहचान भी बनेगी।
हरियाणा में बनेगी विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी
हरियाणा अब सिर्फ खेती और औद्योगिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि जल्द ही विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी के लिए भी जाना जाएगा। लगभग 10,000 एकड़ भूमि में विकसित हो रही यह परियोजना भारत को ग्रीन टूरिज्म के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई तक ले जाएगी।
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर हाल ही में केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की दिल्ली में अहम बैठक हुई। इस मुलाकात में परियोजना को ज़मीनी हकीकत में बदलने को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
हरियाणा जंगल सफारी प्रोजेक्ट क्या है?
यह जंगल सफारी प्रोजेक्ट हरियाणा के अरावली क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, जो प्राकृतिक संसाधनों और वन्यजीवों से भरपूर है। इस प्रोजेक्ट का मकसद है:
- राज्य में हरित पर्यटन (Green Tourism) को बढ़ावा देना
- वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता देना
- स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना
- पर्यावरण शिक्षा को प्रोत्साहित करना
क्यों खास है ये सफारी प्रोजेक्ट?
- दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी — इससे भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी
- वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक आवास
- पर्यटकों के लिए खास एक्सपीरियंस ज़ोन, जिसमें सैरगाह, नेचर वॉक ट्रेल्स, वॉच टावर्स और इको-रिसॉर्ट्स शामिल होंगे
- वन क्षेत्र का संरक्षण और विस्तार
- बच्चों और छात्रों के लिए पर्यावरण शिक्षा केंद्र
क्या बोले केंद्रीय मंत्री?
मनोहर लाल खट्टर जी ने इस बैठक के बाद ट्वीट कर कहा:
“हरियाणा के लिए यह प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित होगा। न केवल यह ग्रीन टूरिज्म को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों को मजबूती देगा।”
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इसे “सस्टेनेबल डवलपमेंट” की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
संभावित लोकेशन और विकास की स्थिति
यह प्रोजेक्ट हरियाणा के गुरुग्राम और नूंह जिलों के बीच स्थित अरावली क्षेत्र में प्रस्तावित है। विशेषज्ञों के अनुसार, यहां की जैव विविधता और प्राकृतिक भूगोल इसे जंगल सफारी के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं।
वर्तमान में:
- परियोजना की अवधारणा रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है
- पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) प्रक्रिया जारी है
- ज़मीन अधिग्रहण और योजना की रूपरेखा पर काम तेज़ी से हो रहा है