हरियाणा फर्जी मार्कशीट मामला: नूंह के 11 छात्रों पर FIR, 129 स्टूडेंट्स का रोका गया रिजल्ट

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हरियाणा फर्जी मार्कशीट मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। नूंह के 11 छात्रों पर FIR दर्ज, 129 छात्रों का रोका गया रिजल्ट। जानिए कैसे स्कूल और एजुकेशन बोर्डों ने छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया।

हरियाणा फर्जी मार्कशीट मामला: नूंह के 11 छात्रों पर केस, कई निजी स्कूलों पर भी जांच की तलवार

हरियाणा में शिक्षा प्रणाली को शर्मसार करने वाला एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। “हरियाणा फर्जी मार्कशीट मामला” अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुका है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HBSE), भिवानी में फर्जी 10वीं के सर्टिफिकेट के आधार पर एनरोलमेंट करवाने के आरोप में नूंह जिले के 11 छात्रों पर एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी लापरवाही और धोखाधड़ी की ओर इशारा करता है।

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फर्जी मार्कशीट से कराया गया एनरोलमेंट

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020-21 में जब कोरोना काल में बिना परीक्षा दिए छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया था, उसी का फायदा उठाते हुए कई छात्रों ने बाहरी राज्यों के बोर्ड से नकली प्रमाण पत्र बनवाए। इन फर्जी सर्टिफिकेट्स के जरिए उन्होंने हरियाणा शिक्षा बोर्ड में 10वीं की परीक्षा में भाग लिया।

HBSE ने जब इन छात्रों के दस्तावेजों की जांच की, तो पाया गया कि यह प्रमाण पत्र हरियाणा बोर्ड के समकक्ष नहीं थे। इसके बाद 5 साल की जांच के बाद अब कार्रवाई की गई है।

नूंह के 11 छात्रों पर FIR दर्ज

शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन सचिव कृष्ण कुमार द्वारा पंचकूला के पुलिस महानिदेशक (अपराध) को दी गई शिकायत के अनुसार, नूंह के इन छात्रों ने दिल्ली, झारखंड और उर्दू एजुकेशन बोर्ड से फर्जी प्रमाण पत्र लिए थे। जिन स्कूलों में इन छात्रों ने दाखिला लिया, उनमें शामिल हैं:

  • श्रेणी शिक्षा निकेतन स्कूल, खेड़ला
  • राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, फिरोजपुर झिरका
  • यासीनखान मेव सीनियर सेकेंडरी स्कूल
  • चंद्रावती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, तावडू
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इन छात्रों में मोहम्मद साहिल, सादिक, जाबिद, इमरान, औसामा बिलादेन, आकिफ हुसैन, गायत्री और शगुन परमार जैसे नाम शामिल हैं।

129 छात्रों का रोका गया रिजल्ट, स्कूलों पर जुर्माना

बोर्ड द्वारा की गई जांच में सामने आया कि प्रदेश के कुल 92 स्कूलों के 129 छात्रों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नामांकन कराया था। इन छात्रों के रिजल्ट रोक दिए गए हैं और संबंधित स्कूलों पर ₹1 लाख तक का जुर्माना भी लगाया गया है।

निजी स्कूलों की भूमिका संदेह के घेरे में

बोर्ड अधिकारियों का मानना है कि कुछ निजी स्कूल इस फर्जीवाड़े में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं। ऐसी संस्थाएं छात्रों से मोटी फीस वसूल कर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं। बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि अब संबंधित स्कूलों और एजुकेशन एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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हरियाणा फर्जी मार्कशीट मामला केवल कुछ छात्रों का अपराध नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा सिस्टम की कमजोरी को उजागर करता है। सरकार को चाहिए कि वह इस पर तुरंत कड़ा एक्शन ले, ताकि भविष्य में कोई छात्र इस तरह के धोखे से अपनी पढ़ाई और करियर को जोखिम में न डाले।

Mohd Hafiz

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