HKRNL NEWS: HKRNL कर्मचारियों की नौकरी खतरे में! हरियाणा सरकार के फैसले से मचा हड़कंप
चंडीगढ़, अप्रैल 2025 – हरियाणा में एक बार फिर संविदा कर्मचारियों की नौकरी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एक हालिया आदेश ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के जरिए काम कर रहे हजारों कर्मचारियों को अनिश्चितता की स्थिति में डाल दिया है।
जहां एक तरफ सरकार का दावा है कि वह नए युवाओं को नौकरी देने के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं दूसरी ओर पुराने और अनुभवी अनुबंधित कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने की प्रक्रिया ने सियासी और सामाजिक हलचल मचा दी है।
क्या है सरकार का नया आदेश और क्यों है विवाद
हरियाणा सरकार ने 3 अप्रैल को एक आदेश जारी किया है जिसके तहत ग्रुप C कैटेगरी में CET पास उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के लिए जगह खाली की जाएगी। इसके लिए HKRNL और आउटसोर्सिंग नीति के तहत कार्यरत पुराने संविदा कर्मियों को हटाया जा सकता है – खासकर वे जो “Contractual Job Security Act, 2024” के अंतर्गत नहीं आते।
सरकार के अनुसार, यह निर्णय ‘पहले आओ, पहले जाओ’ के सिद्धांत पर आधारित होगा। लेकिन इस आदेश के कारण, लाखों परिवारों की रोजी-रोटी खतरे में आ गई है।
कर्मचारी संगठनों का फूटा गुस्सा, कांग्रेस ने भी बोला हमला
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और अन्य संगठनों ने इस आदेश को “संवेदनहीन और अन्यायपूर्ण” करार दिया है। संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा,
“सरकार यदि वास्तव में युवाओं को रोजगार देना चाहती है तो नए पद सृजित करे, ना कि पुराने कर्मचारियों की बलि चढ़ाकर।”
वहीं कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया:
“HKRNL के माध्यम से कार्यरत लाखों कर्मचारी सरकार की रीढ़ हैं। उन्हें हटाना बेरोजगारी को बढ़ावा देना है, न्याय नहीं।”
सोशल मीडिया पर उठी आवाज, ट्रेंड कर रहा है #SaveHKRNJobs
सरकार के इस फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
#SaveHKRNJobs, #JobSecurityForAll, #HKRNL_Justice जैसे हैशटैग ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ट्रेंड कर रहे हैं।
कई प्रभावित कर्मचारी, उनके परिवारजन और समाजसेवी सरकार से अपील कर रहे हैं कि इस आदेश को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए।
क्या हो सकता है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को दोनों पक्षों को संतुलित करने की दिशा में काम करना चाहिए। नई भर्तियां आवश्यक हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वर्षों से सेवा दे रहे कर्मियों को एक झटके में हटाया जाए।
संभावित समाधान:
- सेवा में कार्यरत पुराने कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण की नीति
- नए युवाओं के लिए अतिरिक्त पदों का सृजन
- संविदा कर्मियों को सेवा की निरंतरता और लाभ प्रदान करना
रोज़गार का अधिकार सभी का है
हरियाणा सरकार का यह निर्णय भले ही नियोजन सुधार के रूप में पेश किया गया हो, लेकिन यह हजारों संविदा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटका रहा है। यह जरूरी है कि सरकार संवेदनशीलता और दूरदर्शिता के साथ निर्णय ले। एक नौकरी देकर हजारों छीनना किसी समाधान का नाम नहीं हो सकता।