History of Hasan Khan Mewati who fought against Babar along with Rana Sangha.
हसन खान मेवाती, जिन्होंने राणा सांगा के साथ मिलकर बाबर की सेना का सामना किया, भारतीय इतिहास के एक वीर योद्धा थे। उनकी वीरता और देशभक्ति की कहानियां आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
प्रारंभिक जीवन और शासन
हसन खान मेवाती का जन्म मेवात में हुआ था। वे खानजादा राजपूत वंश के थे और उन्होंने अपने पिता अलावल खान के बाद मेवात की गद्दी संभाली। उनके शासनकाल में मेवात ने कई विकास कार्य देखे।
मुगलों से संघर्ष
हसन खान मेवाती ने 1526 ईस्वी में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी का समर्थन किया। युद्ध में हार के बावजूद, उन्होंने मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और राणा सांगा के साथ मिलकर बाबर के खिलाफ खड़े हुए।
खानवा का युद्ध
1527 ईस्वी में खानवा के युद्ध में हसन खान मेवाती ने राणा सांगा के साथ मिलकर बाबर की सेना का सामना किया। जब राणा सांगा घायल हो गए, तो हसन खान ने सेनापति का झंडा संभाला और बाबर की सेना पर जोरदार हमला बोला। उनकी वीरता के चलते उन्हें ‘मेवात का वली’ कहा जाता था।
विरासत
हसन खान मेवाती की वीरता और देशभक्ति आज भी भारतीय इतिहास में उन्हें एक महान योद्धा के रूप में याद करती है। उनका बलिदान और उनके द्वारा राणा सांगा के साथ मिलकर किया गया संघर्ष, भारतीय स्वतंत्रता के लिए उनकी अदम्य इच्छा को दर्शाता है।
यह लेख हसन खान मेवाती के जीवन और उनकी वीरता की एक झलक प्रस्तुत करता है, जिन्होंने अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।