हरियाणा सरकारी नौकरी में आया बड़ा बदलाव: हाईकोर्ट के नए आदेश से 10 हजार कर्मचारियों को मिली राहत

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हरियाणा सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए राहत की खबर। हाईकोर्ट के फैसले में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए गए बोनस अंकों को अवैध करार दिया गया, लेकिन 10 हजार कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा।

हरियाणा के हजारों युवाओं के लिए सरकारी नौकरी से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए “हरियाणा सरकारी नौकरी” की चयन प्रक्रिया में दिए जा रहे 5 बोनस अंकों को असंवैधानिक करार दिया है। लेकिन राहत की बात यह है कि इससे प्रभावित करीब 10 हजार कर्मचारियों को नौकरी से नहीं हटाया जाएगा।

हाईकोर्ट का फैसला: न नियम सही थे, न प्रक्रिया पारदर्शी

कोर्ट ने माना कि सरकार ने बिना किसी ठोस डेटा के सामाजिक और आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने की नीति बनाई थी, जिससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और संविधान के समान अवसर सिद्धांत का उल्लंघन हुआ।

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हालांकि कोर्ट ने ये भी माना कि जिन उम्मीदवारों ने इस नियम के तहत कठिन परीक्षाएं पास की हैं, वे “नो-फॉल्ट थ्योरी” के अंतर्गत आते हैं — यानी गलती उनकी नहीं थी, बल्कि प्रणाली की थी।

कौन-कौन से उम्मीदवार प्रभावित होंगे?

इस फैसले का सीधा असर उन अभ्यर्थियों पर पड़ेगा जो 2019 के बाद हुई सरकारी भर्तियों में चयनित हुए थे। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे सभी कर्मचारी, जिनका नाम संशोधित मेरिट लिस्ट में नहीं आएगा, उन्हें कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्ति दी जाएगी। जैसे ही रेगुलर पोस्ट खाली होंगी, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।

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क्यों रद्द हुई थी अतिरिक्त अंकों की व्यवस्था?

2019 में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने फैसला लिया था कि जिन परिवारों की सालाना आमदनी ₹1.80 लाख से कम है और जिनका कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है, उन्हें भर्तियों में 5 बोनस अंक दिए जाएंगे। इस नीति का उद्देश्य था समाज के कमजोर वर्गों को आगे लाना, लेकिन कोर्ट ने इसे “आरक्षण की सीमा का उल्लंघन” बताया।

कोर्ट ने सरकार की दलील क्यों खारिज की?

राज्य सरकार का कहना था कि यह नीति जनकल्याण के उद्देश्य से बनाई गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे संविधान विरोधी माना। कोर्ट का स्पष्ट कहना है कि जब पहले से EWS आरक्षण का प्रावधान है, तब दोबारा अतिरिक्त अंक देना न केवल अनुचित, बल्कि अवैध भी है।

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अब आगे क्या होगा?

  • सरकार अब सभी प्रभावित भर्तियों की नई मेरिट लिस्ट तैयार करेगी।
  • प्रभावित उम्मीदवारों को हटाया नहीं जाएगा, लेकिन नियमित पदों की नियुक्ति नई प्रक्रिया के तहत की जाएगी।
  • नई चयन प्रक्रिया योग्यता आधारित और पारदर्शी होगी।

हरियाणा सरकारी नौकरी से जुड़े इस फैसले ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या सामाजिक और आर्थिक लाभ के नाम पर पारदर्शिता से समझौता होना चाहिए। कोर्ट का यह निर्णय न केवल हजारों कर्मचारियों को राहत देता है, बल्कि भविष्य की भर्तियों के लिए भी एक सशक्त और न्यायपूर्ण मार्गदर्शन तैयार करता है।

Mohd Hafiz

Hello Friends, I am Mohd Hafiz. I am a Blogger and Content Writer at Mewat News Website. I have 2 years experience in Blogging and Content Writing in various fields like Govt. Job Updates and news updates.

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